Kabir Sagar »
कबीर सागर में 39वां अध्याय ‘‘गुरू महात्मय‘‘ पृष्ठ 1895 पर है। गुरू महात्मय पहले सुमिरन बोध में इसी पुस्तक के पृष्ठ 451 पर लिख दिया है। इसमें केवल एक राजा बंकेज को शरण में लेने की कथा है। उसको सत्ययुग में शरण में लिया था। उसकी 17 स्त्रिायों तथा 50 लड़कों ने दीक्षा ली थी। राय बंकेज को सत्य युग में धर्मदास जी की तरह शरण में लेकर गुरू पद दिया था।