Kabir Sagar »
अध्याय ‘‘निरंजन (काल) बोध‘‘ का सारांश
कबीर सागर में 17वां अध्याय ‘‘निरंजन बोध‘‘ पृष्ठ 5 (851) पर है। इस स्थान पर ‘‘निरंजन बोध‘‘ अधूरा लिखा है। सम्पूर्ण ज्ञान इसी पुस्तक ‘‘कबीर सागर का सरलार्थ‘‘ में अध्याय ज्ञान सागर के सारांश में अनुराग सागर की वाणियों के अनुवाद में पृष्ठ 80 से 88 तक तथा सृष्टि रचना में पृष्ठ 603 से 624 तक पढ़ें।