अनुमान युग - अम्बुसागर

पाँचवां अनुमान युग का प्रकरण

कबीर सागर के अध्याय अम्बुसागर के पृष्ठ 15 पर कबीर परमेश्वर जी ने बताया है कि हे धर्मदास! अनुमान युग में अद्या यानि दुर्गा देवी अपनी पुत्रियों के साथ गुप्त द्वीप में रहती थी। काल की कला और छल को तुझे बताता हूँ।

अपने पुत्र ब्रह्मा को चार वेद दिए। उनको पढ़कर ब्रह्मा ने अपने अनुभव से पुराण ज्ञान अपने वंशजों (ऋषियों) को सुनाया। उन्होंने (ऋषियों ने) एक पुराण ज्ञान के अठारह भाग बना दिए। ब्रह्मा के ज्ञान में अपना-अपना अनुभव मिलाकर सबने ज्ञान का अज्ञान बनाकर जनता में फैला दिया। जिस कारण से जनता ने ऋषियों को देवता मानकर पूजना शुरू कर दिया। ब्रह्मा पहले स्वयं पृथ्वी पर ऋषि रूप में आया। अपना अनुभव कथा की ब्राह्मण पूजा प्रारम्भ करके चला गया। क्रिया कर्म का जाल फैला गया।

फिर विष्णु पृथ्वी पर आया। उसने तुलसी काष्ठ की माला, जती, सती, त्यागी सन्यासी पंथ चलाया, विष्णु का सुमरण करें, विष्णु को अनिवाशी बताया। फिर शिव जगत में आया। उन्होंने भिक्षुक पंथ चलाया। गिरी, पुरी, नाथ, नागा, चारों शंकराचार्य आदि-आदि शिव के पुजारी हैं। 

सर्व संसार इनकी पूजा करने लगा। अद्या (दुर्गा-अष्टंगी) को कोई नहीं पूजता था। तब दुर्गा ने देखा कि इन तीनों पुत्रों ने मेरा नामो-निशान ही मिटा दिया। तब उसने तीन पुत्राी जन्मी। उनका नाम रखा रम्भा, सुचि, रेणुका। इन्होंने 64 रागनी और राग गाए। सुरनर, मुनिजन मोहित किए। फिर 72 करोड़ उर्वशी उत्पन्न की। इनमें सर्व देवता तथा ऋषि फँसा रखे हैं। मैंने उस अनुमान युग में 7 हजार जीव पार किए। उस समय मेरे को देवी नहीं पहचान सकी।

Sat Sahib