बादशाह सिकंदर की शंकाओं का समाधान
प्रश्न - बादशाह सिकंदर लोधी ने पूछा, हे परवरदिगार (क). यह ब्रह्म(काल) कौन शक्ति है? (ख). यह सभी के सामने क्यों नहीं आता?
उत्तर - परमेश्वर कबीर साहेब जी ने सिकंदर लोधी बादशाह के प्रश्न ‘क-ख‘ के उत्तर में सृष्टि रचना सुनाई। (कृप्या देखें इसी पुस्तक के पृष्ठ 603 से 670 पर)
(ग). क्या बाबा आदम जैसे महापुरुष भी इसी के जाल में फंसे थे?
ग के उत्तर में बताया कि पवित्र बाईबल में उत्पत्ति विषय में लिखा है कि पूर्ण परमात्मा मनुष्यों तथा अन्य प्राणियों की रचना छः दिन में करके तख्त अर्थात् सिंहासन पर चला गया। उसके बाद इस लोक की बाग डोर ब्रह्म ने संभाल ली। इसने कसम खाई है कि मैं सबके सामने कभी नहीं आऊँगा। इसलिए सभी कार्य अपने तीनों पुत्रों (ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव) के द्वारा करवाता रहता है या स्वयं किसी के शरीर में प्रवेश करके प्रेत की तरह बोलता है या आकाशवाणी करके आदेश देता है। प्रेत, पितर तथा अन्य देवों (फरिश्तों) की आत्माऐं भी किसी के शरीर में प्रवेश करके अपना आदेश करती हैं। परन्तु श्रद्धालुओं को पता नहंीं चलता कि यह कौन शक्ति बोल रही है। पूर्ण परमात्मा ने माँस खाने का आदेश नहीं दिया। पवित्र बाईबल उत्पत्ति विषय में सर्व प्राणियों के खाने के विषय में पूर्ण परमात्मा का प्रथम तथा अन्तिम आदेश है कि मनुष्यों के लिए फलदार वृक्ष तथा बीजदार पौधे दिए हैं जो तुम्हारे खाने के लिए हैं तथा अन्य प्राणियों को जिनमें जीवन के प्राण हैं उनके लिए छोटे-छोटे पेड़ अर्थात् घास, झाड़ियाँ तथा बिना फल वाले पेड़ आदि खाने को दिए हैं। इसके बाद पूर्ण प्रभु का आदेश न पवित्र बाईबल में है तथा न किसी कतेब (तौरत, इंजिल, जुबुर तथा र्कुआन शरीफ) में है। इन कतेबों में ब्रह्म, उसके फरिश्तों तथा पित्तरों व प्रेतों का मिला-जुला आदेश रूप ज्ञान है।
(घ). क्या बाबा आदम से पहले भी सृष्टि थी ?
उत्तर - हाँ, सूर्यवंश में राजा नाभिराज हुआ। उसका पुत्र राजा ऋषभदेव हुआ जो जैन धर्म का प्रवर्तक तथा प्रथम तीरथंकर माना जाता है। वही ऋषभदेव ही बाबा आदम हुआ, यह विवरण जैन धर्म की पुस्तक ‘‘आओ जैन धर्म को जाने‘‘ के पृष्ठ 154 पर लिखा है।
इससे स्पष्ट है कि बाबा आदम से भी पूर्व सृष्टि थी। पृथ्वी का अधिक क्षेत्र निर्जन था। एक दूसरे क्षेत्र के व्यक्ति भी आपस में नहीं जानते थे कि कौन कहाँ रहता है। ऐसे स्थान पर ब्रह्म ने फिर से मनुष्य आदि की सृष्टि की। हजरत आदम तथा हव्वा की उत्पत्ति ऐसे स्थान पर की जो अन्य व्यक्तियों से कटा हुआ था। काल के पुत्र ब्रह्मा के लोक से यह पुण्यात्मा (बाबा आदम) अपना कर्म संस्कार भोगने आया था। फिर शास्त्र अनुकूल साधना न मिलने के कारण पितर योनी को प्राप्त होकर पितर लोक में चला गया। बाबा आदम से पूर्व फरिश्ते थे। पवित्र बाईबल ग्रन्थ में लिखा है।
(ड़). यदि अल्लाह का आदेश मनुष्यों को माँस न खाने का है तो बाईबल तथा र्कुआन शरीफ में कैसे लिखा गया ?
उत्तर - पवित्र बाईबल में उत्पत्ति विषय में लिखा है कि पूर्ण परमात्मा ने छः दिन में सृष्टि रचकर सातवें दिन विश्राम किया। उसके बाद बाबा आदम तथा अन्य नबियों को अव्यक्त अल्लाह (काल) के फरिश्ते तथा पितर आदि ने अपने आदेश दिए हैं। जो बाद में र्कुआन शरीफ तथा बाईबल में लिखे गए हैं।
(च). अव्यक्त प्रभु काल ने यह सर्व वास्तविक ज्ञान छुपाया है तो पूर्ण परमात्मा का संकेत किसलिए किया ?
उत्तर - ज्योति निरंजन(अव्यक्त माना जाने वाला प्रभु) पूर्ण परमात्मा के डर से यह नहीं छुपा सकता कि पूर्ण परमात्मा कोई अन्य है। यह पूर्ण प्रभु की वास्तविक पूजा की विधि से अपरिचित है। इसलिए यह केवल अपनी साधना का ज्ञान ही प्रदान करता है तथा महिमा गाता है पूर्ण प्रभु की भी।
सिकंदर ने सोचा कि ऐसे भगवान को दिल्ली में ले चलता हूँ और हो सकता है वहाँ के व्यक्ति भी इस परमात्मा के चरणों में आकर एक हो जाऐं। यह हिन्दू और मुसलमान का झगड़ा समाप्त हो जाऐं। कबीर साहेब के विचार कोई सुनेगा तो उसका भी उद्धार होगा। दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी ने प्रार्थना की कि हे ‘‘सतगुरुदेव एक बार हमारे साथ दिल्ली चलने की कृपा करो।’’ कबीर साहेब ने सिकंदर लौधी से कहा कि पहले आप मेरे से उपदेश लो फिर आपके साथ चल सकता हूँ। ऐसे नहीं जाऊँगा। सिकंदर ने कहा कि दाता जैसे आप कहोगे वैसे ही करूँगा। कबीर साहेब ने कहा कि एक तो हिन्दू से मुसलमान नहीं बनाएगा। सिकंदर ने कहा कि नहीं बनाऊँगा। कोई जीव हिंसा नहीं करवाएगा। सिकंदर ने कहा प्रभु मैं जीव हिंसा नहीं करूंगा तथा न किसी को जीव हिंसा करने के लिए कहूँगा। परन्तु ये मुल्ला तथा काजी मेरे बस से बाहर हैं। कबीर साहेब ने कहा ठीक है आप अपने मुख से नहीं कहोगे। सिकंदर ने कहा कि ठीक है दाता अर्थात् सारे नियम बता दिए और सिकंदर ने सारे स्वीकार कर लिए। परमश्ेवर कबीर साहेब जी से दीक्षा ग्रहण कर ली तथा सर्व नियमों को आजीवन पालन करने का प्रण किया।
तब सतगुरुदेव सिकंदर लौधी को प्रथम मंत्र प्रदान करके वहाँ से उसके साथ दिल्ली को रवाना हुए। बादशाह सिकंदर ने परमेश्वर कबीर साहेब को अपने साथ हाथी पर अम्बारी में बैठाया। उसमें राजा के अतिरिक्त कोई बैठ नहीं सकता था। परन्तु सिकंदर को भगवान सामने दिखाई दिया जिसने उसकी असाध्य बिमारी से रक्षा की उसके सामने मुर्दा स्वामी रामानन्द जीवित कर दिया। जब सिकंदर लौधी के धार्मिक गुरु शेखतकी को पता चला कि राजा स्वस्थ हो गया और इसके सामने कबीर परमेश्वर ने स्वामी रामानन्द जी का कटा शीश जोड़कर जीवित कर दिया। उसने सोचा कि अब मेरे नम्बर कटेंगे अर्थात् मेरी महिमा कम हो जाएगी और मेरी कमाई तथा प्रभुता गई। शेखतकी को साहेब कबीर से इष्र्या हो गई। वह विचार करने लगा कि किसी प्रकार इसको नीचा दिखा दूं और सिकंदर के हृदय से यह उतर जाए और मेरी प्रभुता बनी रह जाए। सभी वहाँ से दिल्ली के लिए चल पड़े। रास्ते में रात्रि में एक दरिया पर रूक गए। सोचा कि रात्रि में विश्राम करेंगे। सुबह चलने का इरादा करके वहाँ पर पड़ाव लगा दिया।
पाठकों से निवेदन है कि अज्ञान के कारण ज्ञानहीन कबीर पंथियों ने वर्तमान कबीर सागर के ज्ञान का अपनी अज्ञानता के कारण नाश कर रखा है। कबीर सागर में ‘‘मोहम्मद बोध‘‘ पृष्ठ 15(735) पर लिखा है कि साखी में लिखा है कि कबीर साहेब ने मोहम्मद से कहा कि तुम तो जाओ, मक्का में जाओ, मैं काशी शहर में जाकर रामानंद को गुरू करता हूँ।
साखी:- हमतो काशी को जात हैं, तुम मक्के अस्थान।
हम गुरू रामानन्द करें, तुम देओ जगत फरमान।।
विचार करें:- हजरत मोहम्मद जी का जन्म 603 ई. में हुआ। वे 63 वर्ष की आयु में रोग के कारण मृत्यु को प्राप्त हुए थे। परमेश्वर कबीर जी काशी में 1398 ई. में प्रकट हुए। सन् 1403 ई. में 5 वर्ष की आयु में रामानंद जी से दीक्षा लेने की लीला की थी। झूठे व्यक्तियों ने कबीर जी को मोहम्मद जी का समकालीन बना दिया। मुहम्मद जी को परमेश्वर सत्यलोक से आकर मिले थे जैसे संत गरीबदास जी को मिले थे।
मुसलमानों का सिद्धांत गलत सिद्ध हुआ।
मुसलमान मानते हैं कि बाबा आदम जी प्रथम नबी थे। उनसे लेकर हजरत ईशा जी तक सब मृत्यु के उपरांत कब्रों में दबाए गए हैं। वे सब तब तक कब्रों में रहेंगे, जब तक कयामत (प्रलय) नहीं आती। प्रलय आने में अभी अरबों वर्ष शेष हैं। तब तक जन्नत (स्वर्ग) तथा दोजख (नरक) खाली पड़े हैं। हजरत मोहम्मद मृत्यु के निकट आए तो रात्रि में उठकर कब्रों में गए। वहाँ उन कब्रों में दबे मुर्दों से कहा कि हे कब्र वालो! तुम्हें अल्लाह सलामत रखे।
इससे भी स्पष्ट है कि मुसलमान मानते हैं कि मृत्यु के उपरांत सब कब्रों में दबाए जाते हैं और कयामत तक कब्रों में रहते हैं। आप जी ने ऊपर पढ़ा कि हजरत मोहम्मद जी जब बुराक पर बैठकर ऊपर गए तो जन्नत में हजरत आदम की अच्छी संतान थी जिनको देखकर बाबा आदम हँस रहे थे। बांई और नरक में निकम्मी संतान थी जिनको देखकर रो रहे थे। हजरत मोहम्मद जी ने ऊपर पूर्व वाले सब नबियों को देखा। यदि मुसलमान धर्म का यह सिद्धांत सत्य है कि कयामत तक सब मानव तथा पैगंबर कब्रों में रहते हैं तो हजरत मोहम्मद जी को जन्नत में न बाबा आदम मिलते, न उनकी अच्छी-बुरी संतान स्वर्ग-नरक में मिलती और न बाबा आदम से लेकर ईशा तक नबियों की मण्डली ऊपर के आसमानों में मिलती। जन्नत (स्वर्ग) तथा दोजख (नरक) खाली पड़े होने चाहिएं थे। इससे मुसलमानों का यह कहना गलत सिद्ध हुआ कि कयामत तक प्रत्येक मानव मृत्यु के उपरांत कब्रों में दबे रहते हैं।
जन्नत उसको कहते हैं जहाँ कोई कष्ट ना हो। वह जन्नत (स्वर्ग) सत्य लोक में है। वास्तव में वह स्वर्ग है। काल लोक के स्वर्ग पूर्ण सुखदायक नहीं हैं।